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तुझे नज़्म में उतार दूँ

थोड़ा थोड़ा तुझे..........निखार दूँ,
आजा तुझे........नज़्म में उतार दूँ।

काली घटा सी.......लहराती ज़ुल्फ़ें,
इन्हें आज..........ज़रा मैं सवार दूँ।

ये तबस्सुम ये सुर्खी........लबों की,
लगे ना नज़र, तेरा सदक़ा उतार दूँ।

ये बेक़रारी ये बेचैनी....कैसी जाना,
मेरी बाहों में आ........तुझे प्यार दूँ।

उल्फ़त के इस सूखे.........बाग़ को,
मुहब्बत की एक नई........बहार दूँ।

"निक्क" तू ही तू है......बस मुझमें,
क्यों ना खुदको तुझमें....बिखार दूँ।

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30 Comments

Mithi . S

01-Aug-2022 05:55 PM

बहुत सुंदर रचना 👌

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Pankaj Pandey

31-Jul-2022 08:25 PM

Bahut achhi rachana

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Aniya Rahman

30-Jul-2022 11:28 PM

Nyc

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